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Broken Friendship Poem By Raagvairagi

मित्र कभी तुम भी हमे अजीज़ थे-Broken Friendship Hindi Poem By Raagvairagi 

मित्र कभी तुम भी हमे अजीज़ थे,

दिल के बहुत करीब थे ,

माना था भाई तुम्हे  ,

सोचा  था तुम  समझते हो हमे ,

लेकिन तुम तो दिल के गरीब निकले ,

हमसे बहुत दूर और गैरों के करीब निकले ,

तुम्हारी हर गलती को नज़रअंदाज़ किया ,

बदले में तुमने दिल तार तार किया ,

तुम्हारे अकेलेपन में , मैं तुम्हारे साथ था ,

एक कप चाय भी बाँट लिया करते थे ,

जिंदगी के हर पल को हंस  के जिया करते थे ,

पर तुम ग़लतफहमी के शिकार हो गए ,

सच से बहुत दूर और झूठ के पास हो गए ,

तुम्हारे जाने पर दुःख तो हुआ पर अब कोई बात नहीं ,

बस अब बापस मत आना हमे करनी  नई  शुरुआत नही।

मित्र कभी तुम भी हमे अजीज़ थे।

 

 

 


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