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Ab Jeena Seekh Gya Hu - Poetry By Raagvairagi

Ab Jeena Seekh Gya Hu - Poetry By Raagvairagi

 हाँ ! अब खुश रहना सीख गया हूँ,

जब से हुआ हूँ अकेला जीना सीख गया हूँ,

अब नहीं रोता में छोटी छोटी बातों पर ,

अपने आंसू छिपाना सीख गया हूँ ,

अब नहीं सताती मुझे याद किसी की ,

तन्हाई में रहना सीख गया हूँ ,

अब धड़कता है मेरा दिल सिर्फ मेरे लिए,

दिल को काबू करना सीख गया हूँ ,

अब नहीं जताता हूँ हक़ किसी पर ,

अपना सब कुछ छोड़ना सीख गया हूँ ,

की हुई गलतियों को बदल नहीं सकता में ,

लेकिन अब दुनियादारी सीख गया हूँ मे। 

हाँ अब जीना सीख गया हूँ में। 

Poem By Raagvairagi


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