Kagaz Si Ho Gyi Hai Zindagi - Poetry
कागज सी हो गयी है ज़िन्दगी ,
कोई भी कुछ भी लिख कर चला जाता है ,
बिना सोचे समझे साफ़ दामन पर कालिख पोत जाता है ,
मिटाने की कोशिश करना ही बेकार है ,
पहले ही पढ़ चुके हज़ार है।
किस किस को सफाई दू ,
अपने दर्द की दुहाई दू ,
देख कर भी अनदेखा करते है ,
भला कैसे में सुनाई दू।
इस कागज़ पर छपे अक्षर मेरी तक़दीर बन चुके है ,
जो पसंद नहीं है मुझको वो तस्वीर बन चुके है।
गलती सिर्फ इतनी है की हमने विश्वास किया ,
अपना सब कुछ मान कर दिल के पास किया ,
लेकिन तुमने मेरा सिर्फ तिरस्कार किया।
कागज़ सी हो गयी है ज़िन्दगी।
- RaagVairagi
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❤👏
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