रास्ते और मंज़िले , फैसले और उलझने
ज़िन्दगी के हर मोड़ पर दो रास्ते होते है। किस रास्ते पर जाना चाहिए ये किसी को पता नहीं होता। फिर भी हम एक रास्ता चुन ही लेते है और आगे बढ़ जाते है। उम्मीद यही होती है की यही रास्ता दूसरे वाले से बेहतर है। देखा जाए दोनों रास्तों में से कोई भी बुरा नहीं है। फर्क इस बात से पड़ता है की आपने वो रास्ता चुनने के बाद कितनी मेहनत की है। हम रास्ता तो तुरंत चुन लेते है फिर धीरे धीरे अपनी दिशा भूलने लगते है और कही बीच में खो जाते है। फिर खुद को सही दिखने के लिए रास्ते को दोष देते है की रास्ता ही गलत था। "काश दूसरा रास्ता चुना होता " - लेकिन सच तो ये है आप दूसरे रास्ते में भी भटक जाते क्यूंकि आप बीच रास्ते में अपना लक्ष्य भूल गए। जीवन के किसी भी मोड़ पर आपको लगे की गलती हुई है तो उसको स्वीकार करे , आप जितना वक़्त उसे स्वीकारने में लगा देंगे उतना वक़्त उसे सही करने में और लगेगा। समझदारी इसी में है कि अपनी गलतियों को अपनाये और उन्हें सुधार। रास्ता कभी गलत नहीं होता उस पर चलने वाला गलत होता है। आपके अंदर जूनून और लगन है तो आपका रास्ता मंज़िल कि और बढ़ता जाएगा।
"रास्ते और मंज़िले , फैसले और उलझने ,
जिंदगी की राह में है कई अड़चने ,
जिस और मन चले उस और हम चले ,
मज़िल की तलाश में राही हम बन चले ,
न होना है दिशाहीन न होना है हताश ,
बिना रुके बिना थके जारी रखो तलाश ,
विश्वास खुद पर करो हार से मत डरो ,
देखा है जो ख्वाब उसको बस सच करो ,
अर्जुन तो बन ही जाओगे एकलव्य तुम बनो ,
कोई साथ दे न दे खुद के साथी बनो,
शांत नदी में सब तैर लेते है ,
लहरों को चीर के समुन्दर तुम पार करो। "
-Raagvairagi
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